सरकार का यह प्रयास जाति-धर्म से ऊपर उठकर शादी रचाने वालों को प्रोत्साहित करना है (प्रतीकात्मक तस्वीर)
उत्तराखंड (Uttarakhand) के समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह प्रोत्साहन राशि कानूनी रूप से पंजीकृत अंतरधार्मिक विवाह करने वाले सभी दंपत्तियों को दी जाती है. अंतरधार्मिक विवाह किसी मान्यता प्राप्त मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर या देवस्थान में संपन्न होना चाहिए
- News18Hindi
- Last Updated:
November 21, 2020, 8:33 PM IST
प्रदेश के समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि यह प्रोत्साहन राशि कानूनी रूप से पंजीकृत अंतरधार्मिक विवाह करने वाले सभी दंपत्तियों को दी जाती है. अंतरधार्मिक विवाह किसी मान्यता प्राप्त मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर या देवस्थान में संपन्न होना चाहिए. उन्होंने बताया कि अंतरजातीय विवाह करने पर प्रोत्साहन राशि पाने के लिए दंपत्ति में से पति या पत्नी किसी एक का भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 के अनुसार, अनुसूचित जाति का होना आवश्यक है.
Uttarakhand government is paying Rs 50,000 to inter-caste and inter-faith couples to encourage such alliances: Officials
— Press Trust of India (@PTI_News) November 21, 2020
टिहरी के जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपांकर घिल्डियाल ने बताया कि राष्ट्रीय एकता की भावना को जागृत रखने और समाज में एकता बनाए रखने के लिए अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह काफी सहायक सिद्ध हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे विवाह करने वाले दंपत्ति शादी के एक साल बाद तक प्रोत्साहन राशि पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं. उत्तर प्रदेश अंतरजातीय/अंतरधार्मिक विवाह प्रोत्साहन नियमावली, 1976 में संशोधन के जरिए उत्तराखंड में 2014 में इसके तहत दी जाने वाली रकम को 10 हजार रुपए से बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दिया गया था. उत्तर प्रदेश से अलग होकर वर्ष 2000 में जब उत्तराखंड का गठन हुआ था तो इस नियमावली को यथावत अपना लिया गया था. (भाषा से इनपुट)