मंदिर पक्ष की दलीलें
-सुनवाई के दौरान मंदिर की तरफ से दलील दी गई कि ज्ञानवापी स्थित विश्वेस्वर नाथ मंदिर तोड़कर मस्जिद का रूप दिया गया है. अभी भी तहखाने सहित चारों तरफ की जमीन पर वैधानिक कब्जा हिन्दुओं का है.
– मस्जिद के पीछे श्रृंगार गौरी की पूजा होती है. कथा भी आयोजित होती है. नंदी भी मस्जिद की तरफ मुख करके विराजमान हैं.
-तहखाने के गेट पर हिन्दुओं व प्रशासन का ताला लगा है. दोनों की तरफ से दरवाजा खोला जाता है. मस्जिद के पीछे मंदिर का ढांचा साफ दिखाई देता है.
– विवादित ढांचे में तहखाने की छत पर मुस्लिम नमाज पढ़ते हैं. इस्लाम में विवादित स्थल पर पढ़ी गई नमाज कबूल नहीं होती इसलिए अवैध कब्जे के खिलाफ वाद पोषणीय है. याचिका खारिज की जाए.
याचियों ने दिया कानून का हवाला
-उधर याचियों का कहना है कि कानून के तहत 1947 की मस्जिद-मंदिर की स्थिति मे बदलाव नहीं किया जा सकता. यथास्थिति बनाए रखने का कानून मुकदमे पर रोक लगाता है. स्थिति बदलने की मांग में वाराणसी में दाखिल मुकदमा पोषणीय नहीं है. अपर सत्र न्यायाधीश वाराणसी द्वारा मुकदमे की सुनवाई का आदेश देना गलत है.
-वहीं मंदिर की की तरफ से कहा गया कि विवाद आजादी के पहले से चल रहा है, इसलिए बाद में पारित कानून से विधिक अधिकार नहीं छीने जा सकते. मंदिर को तोड़कर मस्जिद का रूप दिया गया है.