भीलवाड़ा मॉडल का श्रेय टीना डाबी को भी दिया गया था. (फाइल फोटो)
टीना डाबी (Tina Dabi) का नाम भीलवाड़ा मॉडल (Bhilwara Model) के भी खूब चर्चा में आया था. अप्रैल महीने में राजस्थान के इस शहर में एकाएक कोरोना मामले बढ़े थे लेकिन प्रशासनिक फुर्ती की वजह से मामलों की संख्या बढ़ नहीं पाई.
- News18Hindi
- Last Updated:
November 23, 2020, 7:59 PM IST
अप्रैल में देशभर में चर्चा आया था भीलवाड़ा
दरअसल अप्रैल में भीलवाड़ा राजस्थान में सबसे ज्यादा कोरोना रोगियों वाला जिला बन गया था. लेकिन जिस फुर्ती के साथ प्रशासनिक अधिकारियों ने बचाव उपाय किए उससे अब ये जिला सुर्खियों में आ गया. टीना डाबी ने हिंदुस्तान टाइम्स अखबार को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के मद्देनजर हमने पहला कदम आइसोलेशन का उठाया था. साथ ही जिले को पूरी तरह आइसोलेट करने के लिए लोगों को भरोसे में भी लिया गया. टीना डाबी 2018 से भीलवाड़ा में सब डिविजन कलेक्टर के तौर तैनात थीं.
ये बोली थीं टीना डाबीउन्होंने बताया था कि 19 मार्च को पहला कोरोना पॉजिटिव केस भीलवाड़ा में आया और 20 मार्च को ही हमने वो कड़ी तलाश ली थी जो इसका एपिसेंटर बन सकती थी. हमने पाया कि एक पूरा प्राइवेट हॉस्पिटल ही इसकी चपेट में है.
टीना डाबी भीलवाड़ा के बृजेश बांगर मेमोरियल अस्पताल की चर्चा कर रही थीं. इसी अस्पताल के डॉक्टर और नर्स शुरुआती कोरोना पॉजिटिव लोगों में थे. इसके बाद प्रशासन ने तुरंत कंप्लीट शटडाउन का फैसला किया और भीलवाड़ा को सील कर दिया. टीना डाबी ने बताया था कि महज दो घंटे के भीतर शहर के डीएम राजेंद्र भट्ट ने कंप्लीट शटडाउन का फैसला ले लिया था. गौरतलब है कि राजेंद्र भट्ट को लेकर मीडिया में कई स्टोरी प्रकाशित हो चुकी हैं. उनकी त्वरित कार्रवाई की तारीफ हर तरफ हुई है.
शहरवासियों का भरोसा जीता
डाबी ने बताया था कि शटडाउन के फैसले के तुरंत बाद ही मैंने शहर भर में घूम कर काम-काज बंद कराने, लोगों को समझाने और जरूरत पड़ने पर डांटने का काम तेजी से शुरू कर दिया. उन्होंने लोगों को समझाया कि पैनिक होने की जरूरत नहीं है. महज एक या दो दिन के भीतर जिले भर के लोगों को ये समझाने में प्रशासन ने सफलता पाई.