जैक लीच ने टेस्ट मैच में कुल 6 विकेट लिए. इसमें दूसरी पारी में 4 विकेट लिए. वैसे जैक लीच पहले खिलाडी नहीं हैं, जो जिन्होंने अचानक से आकर भारतीय खेमे में खलबली मचा दी है. इससे पहले भी कई बार कोई अंजाना सा खिलाडी भारतीय टीम पर भारी पडा है. चाहे वो पाकिस्तानी खिलाडी आकिब जावेद रहे हों या फिर वेस्ट इंडीज के खिलाडी जिमी एडम्स और ऑस्ट्रेलिया के मैथ्यू हैडन. ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनकी एक समय बडी पहचान नहीं थी, लेकिन भारत के एक दौरे ने उनकी किस्मत बदल दी. या यूं कहें कि वह पूरी भारतीय टीम पर भारी पडे.
जैक लीच का नाम भी अब उसी लिस्ट में जुड गया है. भारत के खिलाफ टेस्ट मैच में उतरने से पहले जैक लीच भारतीय क्रिकेट फैंस के लिए बहुत जाना पहचाना नाम नहीं थे. वह इससे पहले 12 टेस्ट मैच खेल चुके थे. इसमें उन्होंने 44 विकेट लिए थे. लेकिन अब उन्होंने भारत के खिलाफ पहले ही मैच में कमाल कर दिया. खासकर दूसरी पारी में. उनकी कामयाबी इसलिए भी अहम है, क्योंकि भारतीय बल्लेबाज स्पिन के खिलाफ काफी सहज और आक्रामक होते हैं.
दूसरी पारी में जब इंग्लैंड ने भारत को जीत के लिए 400 से ज्यादा रनों का लक्ष्य दिया तो उन्होंने सबसे पहले शिकार रोहित शर्मा को बनाया. रोहित शर्मा ही वह खिलाडी थे, जो इतने बडे लक्ष्य के सामने भारत की जीत की उम्मीद बांध सकते थे. मैच के पांचवें दिन जब शुभमन गिल और चेतेश्वर पुजारा के बीच एक साझेदारी बनती दिख रही थी, उसी समय उन्होंने अपनी एक चतुराई भरी गेंद पर पुजारा जैसे खिलाडी को आउट कर दिया. पुजारा के आउट होते ही इस टेस्ट मैच के ड्रॉ होने की उम्मीद भी डूबने लगी. बाद में लीच ने अश्विन और शाहबाज नदीम को आउट कर टीम इंडिया की हार और पक्की कर दी.
आकिब जावेद ने भी टीम इंडिया को किया था परेशान
जिस दौर में पाकिस्तान की टीम में इमरान खान और बाद में वसीम अकरम, वकार यूनिस की तूती बोलती थी. उस समय आकिब जावेद ने अचानक से एक मैच में भारत के खिलाफ 7 विकेट लेकर सभी को चौंका दिया था. 1991 में शारजाह में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से खेलते हुए आकिब जावेद ने भारतीय टीम कीबल्लेबाजी को तहस नहस कर दिया था. ये मैच मैच खेला गया था शारजाह में. उस मैच में आकिब जावेद ने 10 ओवर में मात्र 37 रन देकर टीम इंडिया के 7 विकेट झटके थे. बाद में भी आकिब जावेद टीम इंडिया को परेशान करते रहे. आकिब जावेद ने सबसे ज्यादा भारत के ही खिलाफ विकेट लिए.
मैथ्यू हैडन को आखिरी समय में मिली टीम में जगह और वह सबसे कामबयाब बल्लेबाज बने
ऑस्ट्रलियाई बल्लेबाज मैथ्यू हैडन की कहानी भी कुछ अलग नहीं है. 1997-98 में जब ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत के दौरे पर आ रही थी, उससे पहले उन्हें ऑस्ट्रलियाई टीम से करीब करीब बाहर कर दिया गया था, फिर संयोग से उन्हें भारत जाने वाली टीम में जगह मिल गई. और इस एक दौरे ने उनकी पूरी किस्मत बदल दी. उस दौरे में हैडन सबसे कामयाब बल्लेबाज बनकर उभरे. उसके बाद वह एक दशक तक ऑस्ट्रलियाई टीम का हिस्सा बने रहे.