बॉलीवुड सितारे, क्रिकेटर्स, राजनेता अपने हिसाब से इस टूलकिट एक्शन पर रिएक्शन दे रहे हैं. विवाद को बढ़ता देख सुरक्षा एजेंसियों ने टूलकिट पर शिकंजा कसा है. आखिरकार क्या है ये टूलकिट और कैसे हुआ किसान आंदोलन का इससे कनेक्शन?
ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट से चर्चा में आया टूलकिट
टूलकिट की शुरुआत चाइल्ड एक्टिविस्ट के तौर पर चर्चित रहीं ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunbergs) के ट्वीट से हुई. किसान आंदोलन के समर्थन में ग्रेटा थनबर्ग ने एक ट्वीट किया और एक टूलकिट (toolkit) नाम का एक डॉक्यूमेंट शेयर किया. जिसे देखकर सोशल मीडिया पर काफी हंगामा लगा. ग्रेटा ने ट्वीट डिलीट किया और दूसरा ट्वीट कर दूसरा टूलकिट डॉक्यूमेंट शेयर कर दिया. ग्रेटा थनबर्ग द्वारा शेयर की गई इस टूलकिट में किसान आंदोलन के बारे में जानकारी जुटाने और आंदोलन का साथ कैसे करना है इसकी पूरी डिटेल दी गई है.
इस टूलकिट में स्पष्ट शब्दों में समझाया गया है कि आखिरकार कैसे भारत में चल रहे किसान आंदोलन के बारें जरूरी अपडेट लेने हैं? अगर कोई यूजर किसान आंदोलन पर ट्वीट कर रहा है तो उसे कौन सा हैशटैग लगाना हैं? अगर कोई दिक्कत आए तो किन लोगों से बात करनी है? ट्वीट करते वक्त क्या करना जरूरी है? क्या करने से बचना है? ये सारी बातें इस टूलकिट में मौजूद हैं. अब जानते हैं टूलकिट के बारे में…
क्या है टूलकिट?
टूलकिट का पहली बार जिक्र तब हुआ था जब अमेरिका में ब्लैक लाइफ मैटर नाम का आंदोलन शुरू हुआ था. अमेरिकी पुलिस द्वारा एक अश्वेत की हत्या किए जाने के बाद इस आंदोलन ने जन्म लिया, जिसे पूरे दुनिया का समर्थन मिला. अमेरिका में इस आंदोलन की शुरुआत करने वाले लोगों ने एक टूलकिट तैयार की थी. इसमें आंदोलन में हिस्सा कैसे लिया जाए, किस जगह पर जाया जाए, पुलिस एक्शन पर क्या करें? कौन से हैशटैग का इस्तेमाल करें जिससे ज्यादा लोगों तक बात पहुंचे समेत कई बातों का जिक्र किया गया था.
स्पष्ट है कि टूलकिट वह डिजिटल हथियार है जो सोशल मीडिया पर एक बड़े वर्ग पर किसी आंदोलन को हवा देने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को उसमें जोड़ने के लिए किया जाता है. टूलकिट में वो सभी चीजें मौजूद होती हैं, जो लोगों को अपनाने की सलाह दी जाती है ताकि आंदोलन भी बढ़े और किसी तरह की कोई बड़ी कार्रवाई भी न हो सके.