विकास दुबे फिल्मी किरदारों से था प्रभावित (फाइल फोटो)
विकास दुबे (Vikas Dubey) नए लोगों से मीटिंग के दौरान अक्सर अपने असलहाधारी खडे़ कर लोगों से कहता यह मेरे लिए जान ले भी सकते हैं और दे भी सकते हैं.
चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में पिछले साल की 2 जुलाई की रात दुर्दांत विकास दुबे को पकड़ने के लिए पुलिस की टीम ने दबिश दी थी. विकास दुबे को पुलिस की दबिश की सूचना मिल गयी थी, लेकिन वह फरार नहीं हुआ. उसने पुलिस से मुकाबला करने और सबक सिखाने का फैसला लिया. पुलिस के गांव में दाखिल होते ही विकास ने गुर्गों के साथ पुलिस पर फायरिंग करना शुरू कर दिया. जिसमें सीओ बिल्हौर सहित आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी. वहीं छह पुलिसकर्मी गोलियां लगने से घायल हो गए. इससे पहले भी विकास को कई बार पुलिस ने पकड़ा और थाने में घुस कर हत्या करने जैसे गम्भीर मामलों में कानूनी दांव पेंच का फायदा उठाता रहा.
कई फिल्मों के डायलॉग दोहरता था
इस बार ऐसा नही हुआ क्योंकि विकास खुद को बाहुबली समझने लगा और फिल्मी किरदारों की तरह पुलिसवालों को सबक सिखाने पर उतारू था. विकास के खास गुर्गे गोपाल सैनी ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया था कि विकास ने अर्जुन पंडित फिल्म देखने के बाद अपना नाम पंडित रख लिया था. उसके गुर्गे ही नही पूरे इलाके में लोग उसे पंडित जी कह कर बुलाते थे. कभी-कभी वह अपने गुर्गों के बीच शोले के गब्बर सिंह की तरह व्यवहार करता था. वह गब्बर का डायलॉग दोहरता जो डर गया वो मर गया. इतना ही नहीं वह वेलकम फिल्म के नाना पाटेकर के किरदार उदय शेट्टी को दोहरता था.दबंगई की कहानी सुनना था पसंद
फिल्म में नाना पाटेकर अपने गुर्गे से कहते है कि बोल बल्लू तो उनका गुर्गा नाना पाटेकर का बखान करने लगता ठीक इसी तरह विकास दुबे अपने नौकर दयाशंकर से कहता था बोल कल्लू. जिसके बाद उसका नौकर उसकी दबंगई की कहानी सुनाने लगता. विकास दुबे नए लोगों से मीटिंग के दौरान अक्सर अपने असलहाधारी खडे़ कर लोगों से कहता यह मेरे लिए जान ले भी सकते हैं और दे भी सकते हैं.
मनोवैज्ञानिक डॉ० अराधना गुप्ता का कहना है कि इस तरह के लोग बचपन से ही महात्वाकांक्षी होते हैं. इन लोगों को अपनी पहचान बहुत प्रिय होती और वह चाहते हैं कि लोग उन्हें पहचाने. जिसके चलते वह खास तरह के कैरेक्टर को अपना लेते हैं और अपने में ढालने का प्रयास करते हैं.